वीर तुम अड़े रहो,
रजाई में पड़े रहो
चाय का मजा रहे,
पकौड़ी से सजा रहे
मुंह कभी रुके नहीं,
रजाई कभी उठे नहीं
वीर तुम अड़े रहो,
रजाई में पड़े रहो
मां की
लताड़ हो
बाप की दहाड़ हो
तुम निडर डटो वहीं,
रजाई से उठो नहीं
वीर ...
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